आरती शिव शंकर जी की

आरती शिव शंकर जी की हर हर हर महादेव! सत्य, सनातन, सुन्दर शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी। हर हर… आदि, अनन्त, अनामय, अकल कलाधारी। अमल, अरूप, अगोचर, अविचल,…

मृत्संजीवनी मन्त्र कौन-सा होता है ? महामृत्युंजय और मृत्युंजय मंत्र कौन-सा है ?

मृत्संजीवनी मन्त्र सम्मान के योग्य विद्वदवृन्द एवं पाठकवृन्द यदि कोई स्त्री-पुरुष असाध्यबीमारी से ग्रस्त है, उस स्त्री-पुरुष को स्वयं निम्नलिखित मृत्संजीवनी मन्त्र का जप करना चाहिए। यदि स्वयं न कर…

पंचक बोध :- पंचक क्या होते हैं ?

पंचक बोध :- धनिष्ठा के उत्तरार्य से रेवती नक्षत्र तक साढ़े चार नक्षत्रों को पंचक कहा गया है। पंचकों के समय में निम्नलिखित कार्य नहीं करने चाहिए। जैसे:- दक्षिण दिशा…

नवरात्रों में कैसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

🙏🚩 जय माता दी 🚩 👉आज हम बात करते हैं नवरात्रों की ✍ मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अभी 2 अप्रैल 2022 नवरात्र आरंभ हो रहे हैं…

शिव शक्ति ज्योतिष केंद्र कुरुक्षेत्र हरियाणा

https://g.page/shiv-shakti-jyotish-kendr-kuruks? शिव शक्ति ज्योतिष केंद्र कुरुक्षेत्र हरियाणा sharehttps://g.page/shiv-shakti-jyotish-kendr-kuruks?share Shiv Shakti jyotish kendr Kurukshetra Astrologer Sudesh Sharma Only appointment Ekta vihar colony gali no.1, Salarpur Rd, near jain sansthanak, Thanesar, Haryana…

मधुराष्टकम्

मधुराष्टकम् अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ १॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं…

यज्ञ की महिमा

यज्ञ की महिमा होता है सारे विश्व का कल्याण यज्ञ से । जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान यज्ञ से।। हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो…

शनि की साढ़ेसाती एवं शनि की ढैया

शनि साढ़सति एवं शनि ढैय्या विचार :- शनि जन्म राशि से २,४,५,७,८, ९, १० एवं १२वें स्थानों में गोचरवश संचार करने पर अशुभ करता गोचरवश चन्द्रमा नाम राशि से १,२…

ज्योतिषीय संकेतक

ज्योतिषीय संकेतक भारत में भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी खगोलीय पिंडों, चाहे सूर्य, चंद्र ग्रह या सितारें हो स्थलीय घटनाओं को प्रभावित करते हैं या अपने विभिन्न विन्यासओं द्वारा…

★ गोचर में सूर्यादि ग्रहों का वेध विचार:~

★ गोचर में सूर्यादि ग्रहों का वेध विचार-कुछ विशेष परिस्थितियों में सूर्यादि ग्रह गोचर स्थानों पर आने पर भी अपना शुभाशुभ फल प्रकट नहीं करते, क्योंकि परिहार स्वरूप किसी अन्य…