यज्ञ की महिमा
यज्ञ की महिमा
होता है सारे विश्व का कल्याण यज्ञ से ।
हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ।
यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार की राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं। हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं।
यज्ञ परमात्मा तक पहुंचने का सोपान है। उसका सान्निध्य पाने का माध्यम है। यज्ञ में प्रकट अग्नि साक्षात् भगवान है। इसीलिए यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने के लिए तथा उसे बनाए रखने के लिए यज्ञ या हवन सामग्री का भी विशेष स्थान है। यह सामग्री न केवल भगवान के भोजन का हिस्सा बनती है बल्कि इससे उठने वाला धुआं वायुमंडल को शुद्ध करता है।
हम नित्य हवन भी कर सकते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार यज्ञ किया जा सकता है किसी ब्राह्मण को बुलाकर विधि अनुसार यज्ञ करवा सकते हैं और यदि संभव नहीं हो तो अपने आप भी छोटा सा हवन किया जा सकता है जिसमें सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करके उसके बाद गायत्री मंत्र गुरु मंत्र नवग्रह मंत्र आदि से आहुतियां दी जा सकती है। हिंदू धर्म में गृहस्थ आश्रम के लिए 1 वर्ष में पांच यज्ञ आवश्यक बताए गए हैं जिन्हें किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है जैसे:- अमावस्या, पूर्णिमा, बच्चों का जन्म दिवस, शादी की सालगिरह आदि।
🙏🚩यज्ञनारायण भगवान की जय🚩🚩
🙏ज्योतिषाचार्या ज्योतिष शिरोमणि सुदेश शर्मा
शिव शक्ति ज्योतिष केंद्र कुरुक्षेत्र हरियाणा