मृत्संजीवनी मन्त्र
मृत्संजीवनी मन्त्र कौन-सा होता है ? महामृत्युंजय और मृत्युंजय मंत्र कौन-सा है ?
सम्मान के योग्य विद्वदवृन्द एवं पाठकवृन्द यदि कोई स्त्री-पुरुष असाध्यबीमारी से ग्रस्त है, उस स्त्री-पुरुष को स्वयं निम्नलिखित मृत्संजीवनी मन्त्र का जप करना चाहिए। यदि स्वयं न कर सके तो किसी विद्वान पण्डित जी से इस मन्त्र का जप श्रद्धा एवं विश्वास से विधिपूर्वक करवाना चाहिए। इस मन्त्र की शक्ति की महिमा का वर्णन पुराणों में विस्तार पूर्वव लिखा है। जब देवताओं एवं राक्षसों में परस्पर युद्ध होता था, उस समय दैत्यगुरू शुक्राचार्य इसी मन्त्र शक्ति से युद्ध में मृत राक्षसों को पुनः जीवित कर दिया करते थे। अतः आज भी यह अनुभव में आया है, कि इस मृत्संजीवन मन्त्र जप के प्रभाव से अनेको स्त्री-पुरुष असाध्य रोगों से मुक्त हुए है। अत: यह मन्त्र अनुभव सिद्ध है। मन्त्र इस प्रकार से है:
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे तत्सवितुर्वरेण्यं सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् भर्गो देवस्य धीमहि ऊर्वारुकमिव बन्धनान् धियो यो नः प्रचोदयात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।
महामृत्युंजय मंत्र:-
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।
मृत्युंजय मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।